कल ट्विटर पर शिवलिंग के आकार को लेकर भद्दे और बेहूदा ट्वीट ट्रेंड कर रहे थे, थोड़ा धैर्य से पढ़ें आप सब और जरूरत पड़ने पर सटीक जवाब दें, ये हमारी संस्कृति और आस्था का प्रश्न है!!
महादेव 🙏
कल ट्विटर पर शिवलिंग के आकार को लेकर भद्दे और बेहूदा ट्वीट ट्रेंड कर रहे थे, थोड़ा धैर्य से पढ़ें आप सब और जरूरत पड़ने पर सटीक जवाब दें, ये हमारी संस्कृति और आस्था का प्रश्न है!!
ये शिवलिंग के आकार की आकृति परमाणु रिएक्टर होते हैं, अगर परमाणु संयंत्र आम मकानों की तरह समतल या फ्लैट होगा तो रिएक्टर के अंदर दबाव पड़ने के कारण सबसे कमजोर जगह से टूट जाएगा, जो भवन का किनारा होगा, क्योंकि शिवलिंग के आकार में कोई कमजोर किनारा नहीं होता इसलिए परमाणु संयंत्र को ऐसा आकार दिया जाता है!! दुनिया के ज्यादातर देशों में परमाणु संयंत्र का ऐसे ही निर्माण हुआ है, इसलिए परमाणु संयंत्र के शिवलिंग के आकार का होने के पीछे ठोस वैज्ञानिक कारण है!! अतः मूर्खतापूर्ण घटिया मजाक करने वालों कृपया अपना ज्ञान दुरूस्त करें, शिवलिंग है, प्राचीन विज्ञान का प्रतीक... अधिकांश महत्वपूर्ण भवनों के इस तरह निर्माण का कारण लंबे समय तक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है!! नाभिकीय अभिक्रियाएं अत्यंत ऊष्माक्षेपी और शक्तिशाली होती हैं इसलिए इसे ठंडा करने के लिए लगातार पानी का उपयोग किया जाता है जबकि शिवलिंग पर भी ऊपर लटके पात्र से बूँद बूँद जल गिरता है क्योंकि शिवलिंग शक्ति के स्त्रोत हैं!! अनेक वैज्ञानिक अनुसंधान और विश्लेषणों में शिवलिंग का संबंध #परमाणु_ऊर्जा से बताया गया है!! सभी ज्योतिर्लिंग परमाणु रिएक्टर का स्वरूप हैं, ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है!! महर्षि व्यास ने महाभारत में भगवान शिव को लघुतम से लघु और बड़े से भी बड़ा बताया है जबकि डेनमार्क के वैज्ञानिक नील्स बोहर का सिद्धांत भी इसी पर आधारित है!!
सभी जड़, चेतन की उत्पत्ति #शिव से ही हुई है, संपूर्ण विश्व उनमें व्याप्त है, वह (शिव) कालातीत हैं, उनकी न उत्पति है, न विनाश, निरंजन हैं शिव, अदृश्य हैं शिव लेकिन समस्त प्रकृति की आत्मा हैं #शिव 🔱🙏
जिस तरह परमाणु से बने molecules में प्रोटान, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान होते हैं ठीक उसी तरह शिवलिंग का आधार गोल अर्थात पीडम पर स्थित होता है, मध्य भाग अष्टकोणीय, शीर्ष भाग गोलाकार जिसकी पूजा होती है, ये तीन भाग क्रमशः #ब्रह्मा, #विष्णु, #महेश के प्रतीक हैं, शक्ति, रेणुका और रूद्राणी के रूप में विभाजित है!! अंततः परमाणु संयंत्र का आकार शिवलिंग की तरह होने के पीछे यही वैज्ञानिक कारण है, इसलिए कृपया अपने को मूर्ख साबित मत करें!!