"सोमरस" शराब है या एक चमत्कारी औषधि ?
भारत की सांस्कृतिक परंपरा में संतुलित और प्राकृतिक जीवनशैली को प्राथमिकता दी गई है। प्राचीन ग्रंथों में सोमरस का उल्लेख मिलता है, लेकिन इसे आधुनिक शराब से तुलना करना अनुचित है। सोमरस एक आयुर्वेदिक औषधि थी, जिसे संतुलित मात्रा में विशेष उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता था, जबकि शराब शरीर और मन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
भारतीय परंपरा में संयम और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है, और शराब इन दोनों के विपरीत है।
सोमरस बनाने की विधि
आवश्यक सामग्री:
जड़ी-बूटियाँ: ब्राह्मी, अश्वगंधा, शंखपुष्पी, वचा, मुलेठी
फलों का रस: आमला, बेल, अंगूर या अनार का रस
शहद: प्राकृतिक मिठास के लिए
घी और दूध: शरीर को संतुलित करने के लिए
शुद्ध जल
विशेष वनस्पतियाँ: सोमवल्ली
निर्माण प्रक्रिया:
जड़ी-बूटियों का मिश्रण: सभी औषधीय जड़ी-बूटियों को पीसकर एक महीन पाउडर तैयार करें।
रस निष्कर्षण: फलों का ताजा रस निकालें और इसे एक मिट्टी के पात्र में रखें।
मिश्रण तैयार करें: पिसी हुई जड़ी-बूटियों को रस में डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
शहद और घी मिलाएं: इस मिश्रण में शहद और थोड़ा घी डालें, जिससे इसका औषधीय प्रभाव बढ़े।
प्राकृतिक किण्वन (Fermentation): इस मिश्रण को 24 से 48 घंटे के लिए ठंडी जगह पर रखें, ताकि यह प्राकृतिक रूप से तैयार हो जाए।
छानकर परोसें: इसे छानकर मिट्टी या तांबे के पात्र में परोसें।
सोमरस के लाभ
मानसिक शांति: यह ध्यान और योग में सहायक होता है।
पाचन तंत्र को सुधारता है: यह अग्नि को संतुलित करता है।
ऊर्जा और दीर्घायु प्रदान करता है: ऋषि-मुनि इसका उपयोग आध्यात्मिक साधना के लिए करते थे।
कोई नशा नहीं: यह केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग किया जाता था, न कि मादक पदार्थ की तरह।
शराब छोड़ने के लाभ
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: लिवर और किडनी पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
मानसिक शांति: शराब मानसिक अस्थिरता पैदा कर सकती है, जबकि इसे छोड़ने से मानसिक संतुलन बना रहता है।
आर्थिक बचत: शराब पर खर्च होने वाले पैसे को अधिक उपयोगी चीजों में लगाया जा सकता है।
सामाजिक समरसता: शराब के कारण होने वाले सामाजिक अपराधों और दुर्घटनाओं में कमी आती है।

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