#पन्नाधाय #एक '#पुत्र #बलिदानी' #क्षत्राणी जिसका #इतिहास दबा दिया गया ...
पन्ना खींची चौहानों के #गढ़ #गागरोन (#कोटा) के राजा शत्रुसाल #खींची (#चौहान ) की बेटी थी,
पन्ना का विवाह #चित्तौरगढ़ निवासी वीर योद्धा समर सिंह #सिसोदिया से हुआ।
राजा शत्रुसाल 6000 योद्धाओ के साथ राणा सांगा की ओर से खानवा के युद्ध मे बाबर से लड़े और वीरगति प्राप्त की...
गढ़ गागरोन की वीर परम्परा देख कर पन्ना खींची को महाराणा की धाय माँ नियुक्त किया गया।
बालक उदय सिंह को लेकर पन्ना केवल #कुम्भलगढ़ ही नहीं गई, अपितु #देवलगढ़, #प्रतापगढ़, #डूंगरगढ़ अनेक स्थानों पर गई, मगर किसी ने संरक्षण नहीं दिया ...
अंत मे कुम्भलगढ़ के सरदार आशाशाह देपूरा ने सहर्ष संरक्षण दिया।
और भेद ना खुले इसलिए उदय सिंह को कुम्भलगढ़ छोड़ पन्ना खींची स्वयं चित्तौरगढ़ आ गई।
बाद मे पन्ना के साक्ष्य व प्रमाणिकता सिद्ध करने पर उदय सिंह को राजगद्दी पर बैठाया गया।
गढ़ गागरोन मे आज भी राजा शत्रुसाल के व पन्ना खींची के वंशज है व इसी तरह चित्तौरगढ़ मे समर सिंह के वंशज है .....
पन्ना खींची के पितापक्ष व पतिपक्ष दोनों की वंशावली प्राप्त की जा सकती है, दोनों राजपूत है।
फिर भी पता नहीं क्यों ? लेखक इन्हे क्षत्राणी की बजाय #ग़ुज्जरी लिख रहे हैं....
उदय सिंह का जन्म 1522 ई. मे #बूँदी( ननिहाल ) मे हुआ, उदय सिंह के राज्याभिषेक (1537) के समय उम्र 15 वर्ष रही होंगी,1536 मे विक्रमादित्य की बनवीर द्वारा हत्या के करते समय उदय सिंह की आयु 14 वर्ष व 1533-34 मे माँ #कर्मावती द्वारा #जौहर के समय पन्ना को सौंपते समय 11वर्ष होंगी....
यह उम्र उनकी दूध पीने की नहीं थी...
पन्ना को उनकी देख रेख व सुरक्षा का जिम्मा था, यह कार्य किसी विशिष्ट पारिवारिक व योग्य महिला को सौंपते ना की किसी साधारण ग़ुज्जरी को...
पन्ना खींची (चौहान ) व #कर्मावती #हाड़ी (चौहान) एक कुल की थी अतः ये कार्य उन्हें सौपा गया।
🙏🏻जय मां भवानी।🙏🏻
🚩जय राजपूताना।🚩