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Showing posts from April, 2022

सदैव गलत का विरोध जरूर करना चाहिए। "सत्य" परेशान जरूर होता है, पर पराजित नहीं।। 🚩

  अंतिम सांस गिन रहे जटायु ने कहा कि "मुझे पता था कि मैं रावण से नही जीत सकता लेकिन तो भी मैं लड़ा ..यदि मैं नही लड़ता तो आने वाली पीढियां मुझे कायर कहतीं" जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो मृत्यु आई और जैसे ही मृत्यु आयी... तो गिद्धराज जटायु ने मृत्यु को ललकार कहा... "खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना...मैं तुझ को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती... जब तक मैं माता सीता जी की "सुधि" प्रभु "श्रीराम" को नहीं सुना देता  मौत उन्हें छू नहीं पा रही है... काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला। किन्तु #महाभारत के #भीष्म_पितामह छह महीने तक बाणों की #शय्या पर लेट करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे... आँखों में आँसू हैं ...वे पश्चाताप से रो रहे हैं... भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...!  कितना अलौकिक है यह दृश्य... #रामायण मे जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं...  प्रभु "श्रीराम" रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं...  वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह र

# कृपया सभी अभिभावकध्यानसे_पढ़ें 10 वर्षीय छात्र की हार्ट अटैक से मृत्यु

  # कृपया सभी अभिभावकध्यानसे_पढ़ें 10 वर्षीय छात्र की हार्ट अटैक से मृत्यु  कारण डॉक्टरों ने बताया है कि 1:- बच्चे को सुबह कच्ची नींद में उठाना (नींद पूरी नही होना) 2:- बगैर नाश्ता करवाये स्कूल भेजना 3:-बच्चे के कुल वजन से ज्यादा स्कूल बैग ले जाना 4:-स्कूल का होमवर्क कम्प्लीट न होने पर टीचर का प्रेशर 5:- ठंडा लंच न खा पाना 6:-स्कूल से आते ही नहाना जबरन भोजन करवाना 7:-बगैर आराम किये घर में होमबर्क कम्प्लीट करने का  प्रेसर इत्यादि * अभिभावकों क्या 4-6 वर्ष के बच्चे को अभी डॉक्टर, इंजीनियर, SP , कलेक्टर बना देँगे ?  आप देखो आप कितने पढे लिखे है एवं आपने कब स्कूल जाना शुरू किया, आप उस मासूम बच्चे की जान के पीछे क्यों पड़े है! हम केवल एक दूसरे की होड़ में बच्चों का बचपन मार रहे है ! आप जवान है तो सुबह 5 बजे उठ कर ढाई बजे तक रेगुलर काम करके दिखाए और फिर भोजन करके तुरन्त फिर काम करके दिखायें ! छोटे से मासूम बच्चों के साथ इतना अन्याय क्या सही है? अपने दिल पर हाथ रख कर विचार करिए आप एक मासूम के साथ कितना अन्याय कर रहे है हम बच्चों का बचपन और उनकी स्वाभाविक विकास प्रक्रिया से वंचित कर रहे हैं प्रिय

सोडा वाटर से बने इन्स्टैंट भटूरे | Bhatura recipe with soda water | Instant Bhature

 आवश्यक सामग्री - Ingredients for Bhatura recipe with soda water मैदा- 2 कप (250 ग्राम) सोडा वाटर- 1 बोतल तेल- 1 टेबल स्पून और भटूरे तलने के लिए सूजी- ¼ कप (40 ग्राम) नमक- ½ छोटी चम्मच या स्वादानुसार चीनी- 1 छोटी चम्मच विधि - How to make Instant Bhature मैदा में सूजी, नमक, चीनी और 1 टेबल स्पून तेल डालकर अच्छे से मिक्स कर लीजिए. 1 कप सोडा वाटर लेकर थोड़ा-थोड़ा मैदा में डालते हुए एकदम रोटी के आटे जैसा नरम आटा गूंथ लीजिए. इसके बाद, हाथ को थोड़े से तेल से चिकना करके 3 से 4 मिनिट आटे को मसल लीजिए. इतना आटा लगाने में 1 कप में 1 टेबल स्पून कम सोडा वाटर लगा है. आटे को फूलने के लिए ढककर आधे घंटे रख दीजिए.  भटूरे बनाने के लिए कढ़ाही में तेल गरम करने रख दीजिए. हाथ पर थोड़ा सा सूखा मैदा लगाइए और आटे से नींबू के बराबर एक लोई तोड़कर गोल करके रख लीजिए. सारे आटे से इसी तरह गोल लोइयां तैयार करके सूखे मैदे में लपेटकर रख लीजिए. भटूरे अपनी पसंद के अनुसार थोड़े छोटे या बड़े बना सकते हैं.  एक लोई उठाकर चकले पर रखकर इसे थोड़ा हाथ से दबा लीजिए. फिर, इसे बेलन से दबाव देते हुए थोड़ा सा बेल लीजिए. हाथ से उठाकर व

घर में लगे तुलसी के पौधे का अचानक सूख जाना, हरा-भरा हो जाना आगामी घटनाओं का पूर्व संकेत होता है।

  घर में लगे तुलसी के पौधे का अचानक सूख जाना, हरा-भरा हो जाना आगामी घटनाओं का पूर्व संकेत होता है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत शुभ और मां लक्ष्‍मी का अंश माना जाता है। धर्म, ज्‍योतिष के अलावा वास्‍तु शास्‍त्र में भी तुलसी को बहुत महत्‍व दिया गया है। जिस घर में तुलसी रहती है और रोज उसकी पूजा की जाती है, वहां हमेशा सुख-समृद्धि रहती है। इसके अलावा तुलसी का पौधा वातावरण में सकारात्‍मकता भी लाता है। इसलिए हर घर में सही जगह पर तुलसी का पौधा लगाने की सलाह दी जाती है।  जरूर पालन करें ये नियम  तुलसी का पौधा लगाने पर इससे जुड़े कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। जैसे - तुलसी के पौधे को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए, ना ही जूते-चप्‍पल पहनकर तुलसी को छूना चाहिए। तुलसी का पौधा बहुत पवित्र होता है, उसे हमेशा नहा-धोकर छूना चाहिए। इसके अलावा तुलसी के पौधे में कभी भी रविवार और एकादशी को जल न चढ़ाएं। इस दिन तुलसी जी भगवान विष्‍णु के लिए व्रत रखती हैं और जल चढ़ाने से व्रत टूट जाता है। इसके अलावा रोज शाम को तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलायें और नारायण आराधना करें  तुलसी में ये बदलाव हैं

मुस्लिमों से निवेदन है, कि हमला करने मंदिर न जाया करें!

 मुस्लिमों से निवेदन है, कि हमला करने मंदिर न जाया करें! इससे नफरत फैलती है, साथ में समय की बरबादी भी होती है।  कुटाई अलग से. क्योंकि काफिरों की संख्या वहाँ ज्यादा होती है। इससे अच्छा है कि आप लोग दरगाहों, मजारों पर जाने वाले हिंदुओं को कूटकर अपना गुस्सा शांत किया करें!! जितनी मर्जी उतना मारें कोई दिक्कत नहीं। हाथ, लात, डंडा, लाठी से काफिरों को जी भरके पूरी तसल्ली, इत्मीनान से कूटें।  इतना कूटें कि वह चलना फिरना तो दूर दरगाह, मजार की तरफ देखना भूल जाएं। शबाब मिलेगा सो मिलेगा हमारे जैसों की दुआएं अलग से मिलेगी🥰 जय श्रीराम 🚩🚩

जौहर' यह शब्द क्षत्राणियोँ के अभूतपूर्व 'बलिदान' का स्मरण कराता है!

 कई बरसों से देखते आए हैं कि भारत की नई पीढ़ी खासकर हिन्दू युवा ही जौहर जैसे शब्द का मजाक उड़ाते आएं है।  उन्हें #जौहर शब्द एक मजाक लगता है,  उनको लगता है कि जौहर डरने की निशानी है. उनका तर्क ये भी रहता है कि आग में जलने से अच्छा तो लड़ना चाहिए था। दरसल हमारी नई पीढ़ी को आजादी   बपौती में मिली है व इतिहास का आधा ज्ञान है और उसी ज्ञान की बजह से इनके अंदर अपने इतिहास के प्रति नकारात्मकता रहती है... आज कल जो अफगान के हालात हैं , उसको देखकर मुझे उस दौर की याद आयी. आज जो हालात अफगानिस्तान में हैं, उससे 100 गुना ज्यादा बुरे हालात हमारे इतिहास में थे। आज जो   अफगान में तालिबान के डर से वहां के पुरुष अपनी महिलाओं को छोड़कर भाग रहे हैं व दूसरा वो महिलाएं खुदको तालिबानी सैनिकों के सामने समर्पण कर रही हैं...तब समझ आता है कि हमारी संस्कृति में माताओं ने कितने साहस का काम किया था और क्यूं उन्होंने जौहर जैसा डरावना रास्ता चुना था । युद्ध मे हार के बाद   समर्पण करना सबसे आसान होता है। लेकिन साका -- जौहर जैसी क्रिया करने के लिए विशालकाय हृदय चाहिए।  जो सिर्फ हमारे पूर्वजों में था ... "नारी जद जौह

अधिनियम 30" हिंदुओं के साथ जानबूझकर भेदभाव और व्यवस्थित विश्वासघात हैं।

  नेहरू के हिंदुओं के साथ विश्वासघात को सुधारने के लिए मोदीजी तैयार हैं।  क्या आपने "कानून 30", "कानून 30 ए" सुना है ????  इस  क्या आप जानते हैं "30A" का हिन्दी में क्या मतलब होता है?                       अधिक जानने के लिए देर न करें......  30A संविधान में निहित एक कानून है           जब नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल करने की कोशिश की तो बाबा साहेब आंबेडकर ने इसका कड़ा विरोध किया।  बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा, "यह कानून हिंदुओं के साथ विश्वासघात है, इसलिए अगर यह पशु कानून संविधान में लाया गया तो मैं कैबिनेट और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा... इसके खिलाफ...  आखिरकार .....  बाबा साहेब आंबेडकर की इच्छा के आगे घुटने टेकने पड़े नेहरू...  लेकिन दुर्भाग्य से ..  पता नहीं.. इस घटना के बाद कुछ ही महीनों में बाबा साहेब आंबेडकर की अचानक मौत कैसे हो गई...?????     अंबेडकर की मृत्यु के बाद नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल किया।  30 ए. मैं आपको इसकी विशेषताएं बताता हूं ....     इस कानून के अनुसार - हिंदुओं को हिंदुओं के बीच अपना "हिंदू धर्म&

भारत के राष्ट्रीय जीवन मे राजपूत शब्द एक परंपरा .. .....

 भारत के राष्ट्रीय जीवन मे राजपूत शब्द एक परंपरा के रूप में परिणित हो गया है .. जहां इस जाति ने बसकर एक बंजर ओर मरु भूमि में , अपनी चेतना और चरित्र से ही अपना राग, ओर रक्त से अपना इतिहास रचा। मध्ययुग में जहां जौहर की चिंताएं जली, ओर जिन वीरांगना क्षत्राणियो ने , अग्नि की भयावह लपटों का प्रेम से आलिंगन किया, वहीं पुरुष प्रवीरो ने केशरिया बाना पहनकर शत्रु को यही सिखाया की सिंहःव्रत क्या होता है ……….. राजपूतो के बारे में आज अनेक तरह की अटकलें लगाई जाती है, आरोप लगाए जाते है, उनके इतिहास को चोरी किया जाता है, ओर राजपूतो के बारे में अनर्गल प्रलाप किया जाता है, उसने इतिहास का मख़ौल बनाकर छोड़ दिया है । इस देश के लोगो को … इस देश के इतिहासकारो को …. अपनी अटकलों के बीच इतिहास के चिंतकों ओर दो कौड़ी के दार्शनिको ने तत्कालीन सामाजिक और राष्ट्रक्रांति के उद्घोष को नही सुना ! अंग्रेजी के ग्रन्थो को पढ़कर , इतिहासकार बनने वालो के कानों में राजपूतो के राष्ट्रप्रेम की ” राष्ट्रवाणी कभी पहुंच ही नही सकी । यौद्धेय स्वतंत्रता , सौहार्द ओर समता के आदर्शों पर चलकर, भूमि से लेकर पशुओं तक कि पूजा करने वाले राजप